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Monday, February 1, 2016

रोहित वेमुला------ दलित समाज ?

"हमारी भावनाएं दोयम दर्जे की हो गई हैं। हमारा प्रेम बनावटी है। हमारी मान्यताएं झूठी हैं। हमारी मौलिकता वैध है सिर्फ कृत्रिम कला के जरिए। एक वोट तक, एक आदमी महज एक आंकड़ा बन गया है।"

ये है रोहित वेमुला के लिखे सुसाइड नोट का कुछ अंश। रोहित न कहते-कहते बहुत कुछ कह गया। रोहित ज़िंदा रहते हुए जो ख़त में लिख गया शायद मरने के बाद वह सच हो रहा है। रोहित की आत्महत्या ने एक नया मोड़ ले लिया है। उसकी जाति को लेकर सवाल उठने लगा है, वह किस जाति का था? दलित था भी या नहीं? अगर दलित था तो एडमिशन दलित कोटे से क्यों नहीं लिया? रोहित की मौत के बाद दलित को लेकर सब गंभीर दिखाई दे रहे हैं। "गंभीर" आप समझ गए होंगे मैं क्या कह रहा हूं? ऐसे व्यवहार किया जा रहा है कि जैसे "दलित" शब्द कहीं ऊपर से टपक गया है और जबरन हमारे ऊपर थोप दिया गया है। लेकिन हक़ीक़त कुछ और है।

समाज के इस घड़ियाली आंसू के पीछे कहीं न कहीं घटिया मानसिकता छिपी हुई है। यह वही समाज है जो दलित को अपने समाज का हिस्सा नहीं मानता है। दलित के लिए आंसू तो बहाते हैं, लेकिन उसे भी रोने के लिए मजबूर कर देते हैं। हमारे राजनेता दलित के दर्द को समझते तो हैं लेकिन इस समझ और नासमझी के बीच एक सोची-समझी वोट बैंक की राजनीति छिपी हुई है।

रोहित ने अपने ख़त में यही लिखा है कि उसका जन्म एक घातक हादसा था, वह अपने बचपन के अकेलपन से कभी बाहर नहीं निकल सका। अपने छोटेपन से निकल नहीं सका। इसका एहसास तो इसी समाज ने ही दिया है? अगर यह एहसास नहीं होता तो शायद रोहित आज जिन्दा होता।

रोहित क़ी मौत के बाद राजनेताओं को एक मौका मिल गया। हमेशा क़ी तरह एक दूसरे के ऊपर आरोप-प्रत्यारोप के बीच एक घृणा की राजनीति सामने आ रही है। रोहित ने तो अपने ख़त में यही सब लिखा है, कैसे हम सब बनावटी बन गए हैं, कैसे हमारी भावनाएं दोयम दर्जे की हो गई हैं। वोट के लिए क्या-क्या नहीं करना चाहते हैं। रोहित के नाम पर कैसे राजनेता एक दूसरे पर हमला कर रहे हैं। एक तरह तो प्रधानमंत्री भी रोहित की आत्महत्या लेकर काफी चिंतित नज़र आते हैं तो दूसरी तरफ स्मृति ईरानी गलत तथ्य पेश करते हुए अपना पल्ला झाड़ लेती हैं।

अरविंद केजरीवाल हैदराबाद तो पहुंच जाते हैं लेकिन वहां भी उन्हें नरेंद्र मोदी ही दिखाई देते हैं। बोलते-बोलते नरेंद्र मोदी पर हमला कर बैठते हैं। दिल्ली की राजनीति को हैदराबाद तक पहुंचा देते हैं।

जरा सोचिए उन राजनेताओं के बारे में जो अपने आपको दलित समाज का ठेकेदार मानते हैं। चुनाव के दौरान अपने समाज के सामने एक ऐसे रूप पेश होते हैं जैसे समाज उन के लिए नहीं बल्कि वह दलित समाज के लिए बने हैं। लेकिन कितने दलित नेता हैं जो हैदराबाद यूनिवर्सिटी पहुंचे हैं। ज्यादातर वही नेता पहुंचे होंगे जो बीजेपी के विरोधी नेता हैं।

लोकसभा में बीजेपी के कई दलित सांसद हैं। क्या आपने देखा है इन सांसदों को हैदराबाद पहुंचते हुए या खुलकर इस मुद्दे पर बात करते हुए। कुछ दिन पहले इस घटना को लेकर मैं बीजेपी के कुछ सांसदों से बात कर रहा था, इस मुद्दे पर उनकी राय लेने की कोशिश कर रहा था। ज्यादातर सांसद रोहित की आत्महत्या से परेशान तो थे, लेकिन खुलकर बात करने के लिए तैयार नहीं थे।

कांग्रेस भी राजनीति करने में पीछे नहीं है। कांग्रेस ऐसा व्यवहार कर रही है कि जैसे कांग्रेस के शासनकाल में कभी दलितों के ऊपर अत्याचार नहीं हुआ। हरियाणा के भगाना गांव के कुछ दलित लोगों के ऊपर वहां की ऊंची जाति के लोगों द्वारा अत्याचार करने की बात सामने आई थी। कई साल तक ये लोग जंतर-मंतर पर धरणा देते रहे, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। उस वक़्त हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और केंद्र में कांग्रेस सत्ता में भी थी। लेकिन सत्ता और सरकार दोनों ही चुप थी।

रोहित की आत्महत्या के बाद छात्र राजनीति का असली चेहरा भी सामने आ रहा है। मुम्बई से लेकर दिल्ली तक छात्र संगठन प्रोटेस्ट कर रहे हैं। लेकिन सच यह है कि छात्र संगठन रोहित के नाम पर अपनी राजनीति को चमकाने में लगे हुए हैं। रोहित के मुद्दे को लेकर ABVP के दफ्तर पर हमला हो जाता है, इस हमले को राजनैतिक रूप भी दिया जाता है। लेकिन इस हमले का ज़िम्मेदारी कोई नहीं लेता है।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के सामने बैठे छात्रनेता अपने हाथ में रोहित की तस्वीर तो लेकर बैठे हैं लेकिन इस तस्वीर के नीचे अपने संगठन का नाम लिखना नहीं भूले। प्रोटेस्ट के दौरान एक-दूसरे के खिलाफ नारेबाजी हो रही है। जिंदाबाद और मुर्दाबाद के नारे दूर-दूर तक सुनाई दे रहे हैं। इस छात्र राजनीति की बात तो रोहित ने ही की थी। कैसे छात्र-राजनीति यूनिवर्सिटी के माहौल को खराब कर रही है। जो छात्र नेता जब रोहित जिन्दा था उसके साथ खड़े नहीं हुए आज मरने के बाद उसके नाम पर राजनीति कर रहे हैं।

रोहित इस दुनिया को समझ नहीं पाया, प्यार को समझ नहीं पाया। लेकिन क्या हम सब रोहित को समझ पाए उसके ख़त में लिखे हुए दर्द को समझ पाए। मुझे नहीं लगता अगर समझ गए होते तो नासमझ की तरह बात करते, रोहित को लेकर कम से कम राजनीति नहीं 

Friday, January 29, 2016

संप्रदायिकता बढ़ाने वाले बयानों से परहेज करें राजनेता

सत्ता की अंधी चाह में सांप्रदायिकता को हवा ना दें राजनेता


मोहन भागवत से एक छात्र ने सभा में सार्वजनिक रूप से राम मंदिर निर्माण पर एक सवाल पूछ लिया कि क्या राम मंदिर के भव्य निर्माण से गरीब की थाली में रोटी आ जाएगी? इस प्रश्न ने भगवा ब्रिगेड को आक्रोशित कर दिया। मोहन भागवत ने जो जवाब दिया उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि ऐसा प्रश्न इस देश के एक युवा ने भरी सभा के दौरान पूछा। यह अपने आप में एक गंभीर प्रश्न है। जो सोचने के लिए मजबूर करता है कि इस देश का युवा क्या सोचता है।

लेकिन इसके इतर इस प्रश्न के बाद विरोधियों को आलोचना का मौका मिला और टीवी चैनल को टीआरपी का मुद्दा। हिन्दुस्तान का एक राष्टीय न्यूज चैनल इस विषय पर प्राइम टाइम में एक बौद्धिक बहस प्रसारित कर रहा था। जो देखने में तो दिलचस्प लग रही थी। लेकिन जब उसका विश्लेषण किया तो समझ में आया, टीवी चैनल तो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की हवा बनाने की कोशिश कर रहा है। यह यूपी विधान सभा चुनाव 2017 से पहले की तैयारी है।

यदि यूपी में इस वक्त मौजूदा हालात पर गौर करें तो सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने सार्वजनिक रूप से दो ऐसे बयान दिए हैं। जिनकी यहां पर चर्चा करना आवश्यक है। सबसे पहले उन्होंने कहा कि उन्हें बाबरी और राम मंदिर हादसे में कार सेवकों पर गोली चलाने के आदेश का दुख है। लेकिन कानून की रक्षा के लिए मजबूर थे। उसके बाद उनका दूसरा बयान आता है कि दादरी कांड में अखलाक की निर्मम हत्या और उसके बाद सांप्रदायिक दंगे में बीजेपी के तीन लोगों के नाम हैं। जिसके उनके पास पुख्ता सबूत हैं। यदि प्रधानमंत्री कहेंगे तो मैं उनके नाम बता दूंगा। ये दो ऐसे बयान हैं जो वोटों के लिए सांप्रादायिक ध्रुवीकरण करने की कोशिश के रूप में देखे जा सकते हैं। ऐसे बयान असहिष्णुता को बढ़ावा देने का काम ही करेंगें।

वहीं यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती यूपी में दलितों के साथ अन्याय का मुद्दा उठाते हुए मौजूदा सरकार को घेर रही हैं। मायावती दलित वोट बैंक के लिए लोगों में आपसी वैमनस्य को हवा देने का काम कर रही हैं।

मुझ से अक्सर लोग पूछते हैं कि मुनि जी क्या राजनेताओं या जनप्रतिनिधियांे को ऐसे बयान देने चाहिए। जिससे मनुष्यों में आपसी सदभाव का माहौल बिगड़ने की पूरी संभावना हो। मुझे बड़ा दुख होता है यह सोचकर कि सत्ता में बने रहने के लिए या सत्ता में आने के लिए ये लोग किस स्तर की राजनीति कर रहे हैं। राजनीति में अमर्यादित व्यवहार और आचरण स्वस्थ लोकतंत्र के लिए घातक बीमारी के समान है। राजनैतिक प्रतिस्पर्धा में किसी भी हद को लांघ जाना शोभनीय नहीं हैं।

मुझ से लोगों ने कहा कि यदि मुलायम सिंह यादव के पास दादरी कांड के दोषियो के नाम हैं तो वे कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं करवाते हैं। वे उन दोषियों के नामों को क्यों पाल रहे हैं? सीधे-सीधे तौर पर समझा जा सकता है कि मुलायम देश के प्रधानमंत्री को ब्लैकमेल कर रहे हैं और यूपी की जनता के साथ-साथ पूरे देश को असहिष्णुता की तरफ धकेलना चाहते हैं।

मैं देश के जिम्मेदार राजनेताओं से अपील करता हूं कि वे सत्ता की खातिर ऐसे बयानों से बचें जो देश की छवि को वैश्विक रूप से धूमिल करें। रही बात उस छात्र की जिसने गरीब के लिए रोटी मिलने का प्रश्न उठाया है। धर्म और रोटी दोनों ही जीवन के लिए आवश्यक है। व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म को मानने वाला हो उसका आदर होना चाहिए। धर्म आत्मा का पोषण है और रोटी यानि कि आहार शरीर का पोषण है। अत दोनों ही जीवन के लिए अति आवश्यक है।
टीवी चैनल ऐसे मुद्दों पर बुद्धिजीवियों को बैठाकर खुली बहस तो कराता है। लेकिन ये बहस सार्थक ना होकर किसी मनोरंजक टीवी प्रोग्राम की फूहड़ पटकथा से ज्यादा कुछ नहीं प्रतीत होती है। ये तथाकथित बुद्धिजीवी अपने-अपने अहं की तुष्टि को पूरा करते ज्यादा नजर आते हैं। दर्शक बाद में इन महानुभावों को गाॅसिप का विषय बना लेते हैं। इन बुद्धिजीवियों का जमीनीस्तर पर कोई आधार ना होने के कारण इन बहसों का जनमानस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। तो ऐसी बौद्धिक बहस भी निरर्थक हैं।

Monday, January 25, 2016

असहिष्णुता को बढ़ावा ना दें

भारत में असहिष्णुता एक ऐसा विषय बन चुका है, जो कभी-भी जागृत हो जाता है। बीते नवंबर के मास में असहिष्णुता पर जमकर बवाल हुआ था। कलाकार आमिर खान ने असहिष्णुता पर अपनी पत्नी की चिंता व्यक्त की। उसके बाद जो हुआ वह किसी से छिपा नहीं है। इस बार बाॅलीवुड कलाकार करन जौहर ने जयपुर में साहित्य फेस्टिवल के दौरान असहिष्णुता पर सार्वजनिक रूप से अपने विचार रख कर अनजाने में असहिष्णुता के विषय को फिर से जागृत करने का प्रयास किया है। यह उचित नहीं है।

हमारा देश एक परिवार की तरह है। जिसमें नाना प्रकार के भाव और संस्कृति को मानने वाले मनुष्य रहते हैं। परिवार में हम एक दूसरे के विचारों को सम्मान देते हैं और आपस में सहनशीलता का परिचय देते हैं। ठीक उसी भांति  हमें सहिष्णुता के भाव का परिचय अपने देश में भी देना चाहिए। क्योंकि असहिष्णुता पर इस तरह की बयानबाजी देश में अशांति को पैदा करने का ही काम करती है। इससे सहिष्णुता की भावना के खत्म होने का खतरा बढ़ता है। अत देश के ऐसे सम्मानित लोगों को इस तरह की बयानबाजी पर विराम लगाना चाहिए। देश और समाज उनसे उनके व्यवहार और विचारों में परिपक्वता की उम्मीद करता है।

बड़ा दुख होता है कि ऐसे दुख और संताप बढ़ाने वाले बयानों को भी हमारा टीवी मीडिया पूरे दिन टीवी चैनल पर प्रसारित करता है। और साथ ही कुछ चैनल ऐसे विषयों को एक गंभीर मुद्दा बनाने से नहीं चूकते, जोकि गलत है।

ऐसे प्रसारण लोगों को जागरूक करने की बजाय उन्माद और कट्टरता को बढ़ावा ही देते हैं। छोटी-छोटी बातों और अफवाहों पर जाति और धर्म संप्रदाय विशेष के अनुयायी सड़कों पर लाठी, पत्थर और हथियार लेकर निकल पड़ते हैं। ऐसा ही कुछ बंगाल के मालदा में भी हुआ।

भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में ऐसी उग्रता तथा हिंसात्मक अभिव्यक्ति समाज और देश के लिए खतरे की घंटी है। लोग अपने ही भाई बधुंओं के विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को भी सहन नहीं कर पा रहे हैं। एक दूसरे पर अमर्यादित और अभद्र भाषा की कीचड़ उछालना शुरू कर देते हैं। यह स्वस्थ समाज के लिए बहुत ही गंभीर विषय है।

यदि इसके संभावित कारणों पर गौर करें कि ऐसा क्यों हो रहा है। तो कुछ बातें समझ में आती हैं। लोगों में राष्टीयता की भावना शून्य हो गई है। वे जाति, प्रांत और संप्रदाय में बंट गए हंै। लोग हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, जैन, वैष्णव, सिया-सुन्नी इत्यादि में बंट गए हैं। यहां पर संप्रदाय मुख्य हो गए हैं और राष्टीयता गौण हो गई है। ये कौन कर रहा है? क्यों कर रहा है? मैं यहां पर किसी समुदाय या व्यक्ति विशेष का नाम नहीं लेना चाहता हूं। लेकिन ऐसे लोग अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक फायदों के लिए देश की जनता की धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रहें हैं। एक तरह से ये लोग मानवता के हत्यारे हैं। मनुष्य की धार्मिक भावनाओं को भड़का कर खूनी खेल खेला जा रहा है। ये लोग देश को आर्थिक और सामाजिक आघात पहंुचा रहे हैं।

मैं इन लोगों के बहकावे में आकर इंसान को इंसान ना समझने वाले मनुष्यों से जानना चाहता हूं कि जब आपका कोई भाई बंधु दूसरे देश में जाता है और उससे पूछा जाता है कि आप किस देश के नागरिक हैं, तो वह बताता है कि मैं हिन्दुस्तान का नागरिक हूं। तो उस वक्त उसे वहां पर हिन्दुस्तानी कहा जाता है। तो फिर यहां संप्रदाय प्रधान कैसे हो गए? धर्म सिर्फ इंसान की ईश्वर में आस्था का प्रतीक है। संप्रदाय इंसान की पहचान नहीं हो सकता, इंसान की पहचान उसके व्यवहार और चरित्र से होती है। मनुष्य के इस पतन के लिए देश की राजनीति में कुछ स्वार्थी लोग जिम्मेदार हैं। जो राजनीति करने के बजाय मानवता के हत्यारे बने हुए हैं। अपनी राजनीतिक पिपासा के लिए किसी भी हद तक गिरने के लिए तैयार हैं क्योंकि वे जानते हैं भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इन्हें राजनीति में बने रहने के लिए जन समर्थन आवश्यक है। इसलिए इन लोगों ने मनुष्य को संप्रदाय के आधार पर बांटना शुरू कर दिया। जिसके परिणाम दंगों और हत्याओं के रूप में सामने आ रहे हैं। मुझे तो लगता है इस तरह के लोगों को संसद में पहुंचने का अधिकार ही नहीं चाहिए। संसद में दिखने वाले चेहरों को पहले प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। जिससे वह व्यक्तिगत स्वार्थ से उपर उठ कर देश हित में सोचें।

अब सवाल यह उठता है कि ऐसे हालातों और असहिष्णुता को पनपने से कैसे रोका जाए? कैसे संप्रदाय से उपर उठकर आपसी सौहार्द और भाई चारे के साथ साथ राष्टीयता की भावना का विकास किया जाए? जिससे प्राणियों में सदभावना हो। इसके लिए मनुष्य को इन जाति, संप्रदाय और प्रांतवाद के छोटे-छोटे समूहों में वर्गीकृत होना छोड़ कर इंसान ही बने रहने का प्रयास करना होगा। जो मानव समाज के लिए बेहतर है।

मैं मानव समाज के साथ-साथ जनता द्वारा चुने गए जन प्रतिनिधियों से भी अनुरोध करता हूं कि वे सिर्फ राजनीति करें। मनुष्य की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करें। हमारे संविधान के मुताबिक धर्म निरपेक्षता का अर्थ है कि सभी देशवासी अपनी धार्मिक भावनाओं के अनुसार कहीं भी पूजा पाठ कर सकते हैं और दूसरे धर्म का आदर करें। सरकार से भी अपेक्षित है कि वह राजनीति धर्म का पालन करे। जिससे प्राणियों में सद्भावना हो। धर्म निरपेक्ष राज्य का दायित्व है कि वह धर्म की चिंता करे। मानवीय गुणों के विकास का जो धर्म है उसकी चिंता करे। जिस धर्म का पक्ष केवल नैतिक और चारित्रिक है वही राज्य को मान्य होना चाहिए। इसका तात्पर्य है कि वैदिक, जैन, बौद्ध, ईसाई और इस्लाम आदि राज्य के धर्म नहीं हो सकते।




Monday, October 26, 2015

स्त्री की दुर्गति और नवरात्र

अक्तूबर के महीने में दो ऐसी खबरें आई जिन्होंने मुझे अंदर तक झकझोर दिया। पहली खबर दिल्ली से ढाई साल की मासूम के साथ बलात्कार और दूसरी नोएडा में 11वीं की छात्रा का मनचलों से तंग आकर सुसाइड करना। नवरात्र में ऐसी घटनाएं सुनने के लिए मिलेंगी, शायद ही किसी ने सोचा होगा। तिस पर देश की राजधानी में राज्य सरकार और केंद्र सरकार में इस मुद्दे पर सियासी घमासान।

बहरहाल हम बात कर रहे हैं नवरात्र के दौरान घटी इन दो घटनाओं के बारे में। आधी आबादी की त्रासदी पर बातचीत करने के लिए नवरात्री से बेहतर मौका नहीं हो सकता। इन दिनों हिंदू देवी के नौ रुपों की पूजा करता है। यह वह शक्ति है जो अन्याय का विनाश करती है। जो पापियों और दुष्टों का संहार करती है। जो अपने बच्चों का पालन-पोषण और रक्षा करती है। जो जनती है, जो रचती है, जो सहेजती है।

इतिहास साक्षी है कि भारत में स्त्रियां अंधकार के विरूद्व सतत युद्व का प्रतीक रही हैं। नवरात्र में दुर्गा के नौ रुपों की पूजा यही समझाने की कोशिश करती है। उसी स्त्री शक्ति की हमारे समाज में कितनी दुर्गति हो रही है। अमानवीयता, बलात्कार, घरेलू हिंसा, यौन प्रताड़ना उसकी जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं। जब वह आत्मसम्मान के लिए कानून की तरफ हाथ बढ़ाती है। तो यहां भी कानून के रखवाले उसे कठपुतली की तरह नचाने से नहीं चूकते। समाज के ठेकेदारों के साथ इनकी सांठ गांठ किसी से छिपी नहीं है। विवाह के दौरान पढ़े जाने वाले मंत्र, रक्षा बंधन पर दिया जाने वाला वायदा सब कितने सतही बनकर रह गए हैं। हमारे ऋषि और विद्वानों ने इन्हें समाज में स्त्रियों के सम्मान व स्थान के लिए बनाया और जीवन का अमूल्य हिस्सा बनाया। लेकिन आज समाज उसी को ठेंगा दिखा रहा है।

प्रश्न यहां पर यह उठता है कि समाज में स्त्रियों की दुर्गति के लिए जिम्मेदार कौन है। समाज में घूम रहे महिषासुरों का वध कौन करेगा ? 

क्यों है कपिल के लिए रिक्शा चलाना बाएं हाथ का खेल ?

मूलतः मुजफ्फरनगर निवासी कपिल (28) एक हाथ से विकलांग हैं। इसके बावजूद कपिल ने जिंदगी की दुश्वारियों से हार नहीं मानी बल्कि ये साबित कर के दिखाया कि जिदंगी जिंदादिली का नाम है। इसे खुलकर भरपूर जियो। मौजूदा समय में कपिल गाजियाबाद के विजय नगर में परिवार के साथ रह रहें हैं, कपिल के परिवार में माता-पिता और छोटे भाई-बहन हैं। वह पिछले 5 सालों से परिवार के भरण-पोषण के लिए रिक्शा चलाने का काम कर रहा है। कपिल रोजाना लगभग 400-500 रूपये कमा लेते हैं। कपिल के पिता प्राइवेट नौकरी करते हैं लेकिन घर चलाने के लिए यह काफी नहीं था। इसलिए कपिल को परिवार की जिम्मेदारियों में सहयोग करने के लिए अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ा।

हमारे इस नायक को रिक्शा चलाने का कोई शौक नहीं है। कपिल ने इस काम को करने से पहले नौकरी पाने के हर संभव प्रयास किए। लेकिन एक हाथ ना होने की वजह से हर जगह से निराशा ही हाथ लगी। थक-हार कर कपिल ने रिक्शा चलाने का फैसला लिया। अब इसमें भी आर्थिक अड़चनें थी। उनके पास इसके लिए पैसे नहीं थे। तो इसके लिए कपिल ने कबाड़ी का काम किया और धीरे-धीरे पैसे जमा किए और रिक्शा खरीदा।

कपिल बताते हैं कि उनका ये काम केवल मजबूरी है क्योंकि उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिल पाई लेकिन उन्हें इस काम में काई शर्म भी नहीं है। हमारा गाजियाबाद के संवाददाता ने जब उनसे उनके हाथ की घटना के बारे में पूछा तो कपिल ने बताया कि बचपन में उनका हाथ ट्रैक्टर के नीचे आ गया था। इस हादसे में उन्होंने अपना एक हाथ खो दिया।

कपिल ने हमसे अपनी समस्याएं भी साझा की और बताया कि उन्हें इस काम में कभी-कभी पुलिस वाले भी परेशान करते हैं उनसे पैसे मांगते हैं, कभी 100 तो कभी 50 रूपये, कभी-कभी तो 20 रूपये लेकर भी छोड़ देते हैं। वो अपनी आप-बीती में बताते हैं कि कई बार उन्हें ऐसे पुलिस वाले भी मिले जो उन्हें देखकर हिम्मत की तारीफ करते हैं और कहते हैं कि वाह... क्या बात है, अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना लिया, एक हाथ नहीं होने के बावजूद भी तुम रिक्शा चला रहे हो। तुम उन लोगों के लिए मिसाल हो, जो सही सलामत होते हुए भी कुछ नहीं करते या भीख मांगते हैं।

कपिल का कहते हैं कि उन्हें कभी अच्छे तो कभी बुरे लोग मिलते ही रहते हैं लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और बे-झिझक व बिना शर्म किये अपना काम करते हैं। हमारा नायक कपिल अपनी जिन्दगी से निराश नहीं हैं बल्कि काफी खुश हैं उसका कहना है कि चिंता करके कोई फायदा नहीं है, जैसी जिन्दगी भगवान ने दी है उसी में खुश रहना चाहिये। आपको बता दें कि अगले महीने कपिल की शादी है। हमारा गाजियाबाद उसके उज्जवल भविष्य की कामना करता है और इस अवसर के लिए उन्हें बधाई भी देता है।

जानिए क्या हैं महिला सुरक्षा को लेकर भारतीय कानून

अजय शर्मा 

मैं अपने पाठकों के अनुरोध पर इस बार महिलाओं के अधिकार, उनके मान-सम्मान और सुरक्षा को लेकर देश के प्रमुख कानूनों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। हम वैसी घटनाओं और हरकतों को लेकर कानून के प्रावधानों की चर्चा कर रहे हैं, जिन्हें आमतौर पर महिलाएं चुपचाप सहन कर लेती हैं, जबकि इनसे निबटने के लिए कानून और सहायता उपलब्ध हैं। महिलाएं चाहें, तो उनकी मदद ले सकती हैं और शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आर्थिक उत्पीड़न से खुद को बचा सकती हैं। छेड़छाड़, मेले-ठेले में पुरुषों द्वारा जानबूझ कर की जाने वाली धक्का-मुक्की, ईल टिप्पणी और इशारे महिलाओं को आतंकित करने वाली घटनाएं हैं। ऐसी घटनाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई संभव है। उसी तरह ससुराल में घर के अंदर किये जाने वाले अमानवीय व्यवहार को रोकने की भी कानूनी व्यवस्था है। दहेज उत्पीड़न को लेकर तो कानून और अदालत बेहद संवेदनशील है। इन सब का लाभ लिया जाना चाहिए। विवाह का निबंधन भी जरूरी है। यह पुरुष और महिला दोनों के हित में हैं। इसी गंभीर मुद्दे पर पेष है हमारी खास रिपोर्ट

अनिवार्य विवाह निबंधन
विवाह जीवन और समाज की एक सामान्य और जरूरी संस्कार है। सदियों से चली आ रही इस रस्म को पूरा करने में आम तौर पर किसी कानून को बीच में नहीं लाया जाता है लेकिन इसके लिए भी कानून है, जो विवाह को अपनी (कानूनी) मान्यता देता है। इसमें विवाह के पंजीयन का प्रावधान है। भारत में विवाह आमतौर पर हिंदू विवाह अधिनियम 1955 या विशेष विवाह अधिनियम 1954 में से किसी एक अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जा सकता है, लेकिन कोई भी कानून बाल विवाह या कम उम्र में विवाह को मान्यता नहीं देता।

विवाह को कानूनी मान्यता 
कानूनी तौर पर विवाह के लिए पुरुष की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और महिला की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। हिंदू विवाह के दोनों पक्षों (वर और वधु) को अविवाहित या तलाकशुदा होने चाहिए। यदि विवाह पहले हो गया है, तो उस शादी की पहली पत्नी या पति जीवित नहीं होने चाहिए, यानी एक पति या एक पत्नी के जीवित रहते तभी दूसरी शादी को कानून मान्यता देता है जिसमें पहली शादी को लेकर तलाक हो चुका हो। इसके अतिरिक्त दोनों पक्षों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए। विशेष विवाह अधिनियम विवाह अधिकारी द्वारा विवाह संपन्न करने तथा पंजीकरण करने की व्यवस्था करता है।

विवाह प्रमाण-पत्र क्या है
जब किसी विवाह का पंजीयन यानी रजिस्ट्रेशन होता है, तो पंजीकरण का प्रमाण-पत्र दिया जाता है। इसका लाभ यह है कि दोनों पक्षों के विवाह बंधन में बंधने का कानूनी सबूत तैयार होता है। दूसरा कि पासपोर्ट बनवाने, अपना धर्म, गोत्र आदि बदलने के मामले में यह जरूरी दस्तावेज होता है।

विवाह प्रमाण-पत्र कैसे प्राप्त करें
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत विवाह के लिए पक्षों (वर और वधु) को, अपने क्षेत्र के विवाह पंजीयक यानी मैरेज रजिस्ट्रार के पास आवेदन देना होता है। यह पंजीयक उस क्षेत्र का हो सकता है, जहां विवाह संस्कार संपन्न हो रहा है या फिर जिस पंजीयक के अधिकार क्षेत्र में दोनों में से कोई पक्ष विवाह में ठीक पहले लगातार छह माह तक रह रहा हो. दोनों पक्षों को पंजीयक के पास विवाह के एक माह के भीतर अपने माता-पिता या अभिभावकों या अन्य गवाहों के साथ उपस्थित होना होता है, अगर कोई शादी संपन्न हो चुकी है और उस समय उसका पंजीयन नहीं कराया गया, तो वैसे विवाह के पंजीयन के लिए वैसे दंपति को पांच वर्ष तक माफी की पंजीयक और उसके बाद जिला रजिस्ट्रार द्वारा दी जाती है।

विशेष विवाह
विशेष विवाह अधिनियम के तहत पंजीयन के लिए यह जरूरी है कि पंजीयक को विवाह के पंजीयन का आवेदन देने के कम-से-कम 30 दिनों तक कम-से-कम एक पक्ष को उसके क्षेत्रधिकार में रहा होना चाहिए। यदि कोई एक पक्ष दूसरे विवाह अधिकारी के क्षेत्र में रह रहा है, तो नोटिस की प्रति उसके पास भेज दी जाती है। किसी प्रकार की आपत्ति नहीं प्राप्त होने पर सूचना प्रकाशित होने के एक माह के बाद विवाह संपन्न किया जा सकता है। यदि कोई आपत्ति प्राप्त होती है, तो विवाह अधिकारी इसकी जांच करता है। विवाह संपन्न होने के बाद पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) किया जाता है, अगर पहले से शादी हो चुकी है, तो वैसे मामले में 30 दिनों की सार्वजनिक सूचना देने के बाद विशेष विवाह अधिनियम 1954 के अधीन विवाह का पंजीकरण किया जाता है।


महिलाओं को हैं पुरुषों के बराबर अधिकार
महिलाएं अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल नहीं कर पातीं, अदालत जाना तो दूर की बात है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि महिलाएं खुद को इतना स्वतंत्र नहीं समझतीं कि इतना बड़ा कदम उठा सकें। जो किसी मजबूरी में (या साहस के चलते) अदालत जा भी पहुँचती हैं, उनके लिए कानून की पेंचीदा गलियों में भटकना आसान नहीं होता। दूसरे, इसमें उन्हें किसी का सहारा या समर्थन भी नहीं मिलता। इसके कारण उन्हें घर से लेकर बाहर तक विरोध के ऐसे बवंडर का सामना करना पड़ता है, जिसका सामना अकेले करना उनके लिए कठिन हो जाता है।

इस नकारात्मक वातावरण का सामना करने के बजाए वे अन्याय सहते रहना बेहतर समझती हैं। कानून होते हुए भी वे उसकी मदद नहीं ले पाती हैं। आमतौर पर लोग आज भी औरतों को दोयम दर्जे का नागरिक ही मानते हैं। कारण चाहे सामाजिक रहे हों या आर्थिक, परिणाम हमारे सामने हैं। आज भी दहेज के लिए हमारे देश में हजारों लड़कियाँ जलाई जा रही हैं। रोज न जाने कितनी ही युवतियों को यौन शोषण की शारीरिक और मानसिक यातना से गुजरना पड़ता है। कितनी ही महिलाएं अपनी संपत्ति से बेदखल होकर दर-दर भटकने को मजबूर हैं।


महिलाएं चाहें षहरी परिवेष की हों या ग्रामीण उनको दैहिक और षारीरिक शोषण का सामना करना पड़ता है। अगर इन अपराधों की सूची तैयार की जाए तो न जाने कितने पन्ने भर जाएंगे। ऐसा नहीं है कि सरकार को इन अत्याचारों की जानकारी नहीं है या फिर इनसे सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है। जानकारी भी है और कानून भी हैं, मगर महत्वपूर्ण यह है कि इन कानूनों के बारे में आम महिलाएं कितनी जागरूक हैं? वे अपने हक के लिए इन कानूनों का कितना उपयोग कर पाती हैं?

सब यह जानते हैं कि संविधान ने महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार दिए हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 में कहा गया है कि कानून के सामने स्त्री और पुरुष दोनों बराबर हैं। अनुच्छेद 15 के अंतर्गत महिलाओं को भेदभाव के विरुद्ध न्याय का अधिकार प्राप्त है। संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों के अलावा भी समय-समय पर महिलाओं की अस्मिता और मान-सम्मान की रक्षा के लिए कानून बनाए गए हैं, मगर क्या महिलाएं अपने प्रति हो रहे अन्याय के खिलाफ न्यायालय के द्वार पर दस्तक दे पाती हैं?

साक्षरता और जागरूकता के अभाव में महिलाएं अपने खिलाफ होने वाले अन्याय के विरुद्ध आवाज ही नहीं उठा पातीं। शायद यही सच भी है। भारत में साक्षर महिलाओं का प्रतिशत 54 के आस पास है और गाँवों में तो यह प्रतिशत और भी कम है। तिस पर जो साक्षर हैं, वे जागरूक भी हों, यह भी कोई जरूरी नहीं है। पुराने संस्कारों में जकड़ी महिलाएं अन्याय और अत्याचार को ही अपनी नियति मान लेती हैं और इसीलिए कानूनी मामलों में कम ही रुचि लेती हैं।

हमारी न्यायिक प्रक्रिया इतनी जटिल, लंबी और खर्चीली है कि आम आदमी इससे बचना चाहता है। अगर कोई महिला हिम्मत करके कानूनी कार्रवाई के लिए आगे आती भी है, तो थोड़े ही दिनों में कानूनी प्रक्रिया की जटिलता के चलते उसका सारा उत्साह खत्म हो जाता है। अगर तह में जाकर देखें तो इस समस्या के कारण हमारे सामाजिक ढाँचे में भी नजर आते हैं। महिलाएँ लोक-लाज के डर से अपने दैहिक शोषण के मामले कम ही दर्ज करवाती हैं। संपत्ति से जुड़े हुए मामलों में महिलाएँ भावनात्मक होकर सोचती हैं।

वे अपने परिवार वालों के खिलाफ जाने से बचना चाहती हैं, इसीलिए अपने अधिकारों के लिए दावा नहीं करतीं। लेकिन एक बात जान लें कि जो अपनी मदद खुद नहीं करता, उसकी मदद ईश्वर भी नहीं करता अर्थात अपने साथ होने वाले अन्याय, अत्याचार से छुटकारा पाने के लिए खुद महिलाओं को ही आगे आना होगा। उन्हें इस अत्याचार, अन्याय के विरुद्ध आवाज उठानी होगी। समाज में सबसे ज्यादा जो मामले सामने आते हैं उनमें से एक है दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा। जिसमें विवाहिता को सबसे प्रताडि़त किया जाता है।

दहेज उत्पीड़न
यह सर्वविदित है कि दहेज एक सामाजिक अभिशाप और कानूनी अपराध है, यह महिला प्रताड़ना और उत्पीड़न का बड़ा कारण है। भारतीय दंड संहिता की धारा 304(बी) तथा दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 के तहत दहेज लेना और देना दोनों अपराध है। ऐसे अपराध की सजा कम-से-कम पांच वर्ष कैद या कम-से-कम पंद्रह हजार रुपये जुर्माना है। दहेज की मांग करने पर छह माह की कैद की सजा और दस हजार रुपये तक का जुर्माना किया जाता है। साथ ही, दहेज के नाम पर किसी भी प्रकार के मानसिक, शारीरिक, मौखिक तथा आर्थिक उत्पीड़न को अपराध के दायरे में रखा गया है.

दहेज हत्या से जुड़े कानूनी प्रावधान
दहेज हत्या को लेकर भारतीय दंड संहिता यानी आइपीसी में स्पष्ट प्रावधान है. इसके लिए संहिता की धारा 304(बी), 302, 306 एवं 498-ए है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 304(बी)
भारतीय दंड संहिता की धारा 304(बी) दहेज हत्या के मामलों में सजा के लिए लागू की जाती है. दहेज हत्या का अर्थ है औरत की जलने या किसी शारीरिक चोट के कारण हुई मौत या शादी के सात साल के अंदर किन्हीं संदेहास्पद कारण से हुई उसकी मृत्यु, दहेज हत्या की सजा सात साल कैद है। इस जुर्म के अभियुक्त को जमानत नहीं मिलती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 302
संहिता की धारा 302 में दहेज हत्या के मामले में सजा का प्रावधान है। इसके तहत किसी औरत की दहेज हत्या के अभियुक्त का अदालत में अपराध सिद्ध होने पर उसे उम्र कैद या फांसी हो सकती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 306
अगर ससुराल वाले किसी औरत को दहेज के लिए मानसिक या भावनात्मक रूप से हिंसा का शिकार बनाते हैं और  इस कारण वह आत्महत्या कर लेती है, तो वहां भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत उसे सजा मिलती है। इसके तहत दोष साबित होने पर अभियुक्त को महिला द्वारा आत्महत्या के लिए मजबूर करने के अपराध के लिए जुर्माना और 10 साल तक की सजा सुनायी जा सकती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए
पति या रिश्तेदारों द्वारा दहेज के लालच में महिला के साथ क्रूरता और हिंसा का व्यवहार करने पर संहिता की धारा-498ए के तहत कठोर दंड का प्रावधान है। यहां क्रूरता के मायने हैं- औरत को आत्महत्या के लिए मजबूर करना, उसकी जिंदगी के लिए खतरा पैदा करना व दहेज के लिए सताना व हिंसा।

ये हैं कुछ कानूनी सहायता जिसके सहारे विवाहिता अपने हक और सम्मान की लड़ाई लड़ सकती है। साथ ही समाज को भी महिलाओं के प्रति अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा। वे भी एक इंसान हैं और एक इंसान के साथ जैसा व्यवहार होना चाहिए वैसा ही उनके साथ भी किया जाए तो फिर शायद वे न्यायपूर्ण और सम्मानजनक जीवन जी सकेंगी।


क्या कहती है गाजियाबाद महानगर अध्यक्ष रितु खन्ना 

सपा महानगर अध्यक्ष कहती हैं उनके पास प्रतिदिन 2-5 महिलाएं अपनी शिकायतें लेकर आती हैं कि पति मारपीट करता है। बहुत शराब पीता है। दहेज की मांग कर रहा है। कभी कभी भी तो रिश्तेदारों या पड़ोसियों द्वारा प्रताडि़त करने के मामले भी आते है। ऐसी महिलाओं के मामले आएं कि आॅफिस में बाॅस ने सैलरी नहीं दी है और वह चक्कर कटवा रहा है। या फिर सैलरी के नाम पर वह कुछ और चाहता है। तो हमने ऐसे मामलों में सहयोग किया है। रितु कहती हैं कि महिला या युवती पुलिस से सहयोग लेने से कतराती है क्योंकि वह पुलिस से घबराती हैं साथ ही बदनामी से भी बचना चाहती है।

गाजियाबाद महिला थाना की प्रभारी 

अंजू तेवतिया बताती हैं कि हमारे यहां पति पत्नी के आपसी झगड़ों के मामले ज्यादा आते हैं। जिनमें लव अफेयर, मोबाइल और फेसबुक को लेकर ज्यादा मामले हैं। वहीं प्रेम विवाह वाले भी पीछे नहीं हैं। ये लोग एक दूसरे पर आरोप लगाने में सारी सीमाएं तक लांघ जाते हैं। उनके मुताबिक प्रतिदिन लगभग 10 मामले यहां आते हैं। यहां यौन प्रताड़ना, छेड़छाड़ और वर्किंग वूमेन के मामले नहीं आते हैं। और हां आजकल महिलाएं अपने पतियों से अपने खर्चें के लिए पैसों की डिमांड कर रही है। जो यह बताती है कि वह हर वक्त छोटी-छोटी जरुरतों के लिए अपने पतियों के सामने हाथ नहीं फैलानी चाहती है।

पीडि़ता का बयान 

एक पीडि़ता ने अपना नाम बताने की शर्त पर बताया कि पुलिस मेरे मामले में लड़के वालों का पक्ष लिया। साथ ही समझौता करने के लिए बहुत दबाव बनाया। विवेचना अधिकारी ने तो सारी हदें ही पार कर दीं। लेकिन मैंने भी हिम्मत नहीं हारी और मेरे परिवार ने जो प्रताड़ना झेली है। उसे बयान कर पाना मुश्किल है। पता नहीं ये केस कितना लंबा चलेगा। कब जाकर मुझे न्याय मिलेगा। भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं। 

Saturday, December 27, 2014

गंजेपन से चाहिए छुटकारा तो अपनाइए ये उपाय

गंजापन की स्थिति में सिर के बाल बहुत कम रह जाते हैं। गंजापन की मात्र कम या अधिक हो सकती है। गंजापन को एलोपेसिया भी कहते हैं। जब असामान्य रूप से बहुत तेजी से बाल झड़ने लगते हैं तो नये बाल उतनी तेजी से नहीं उग पाते या फिर वे पहले के बाल से अधिक पतले या कमजोर उगते हैं। इसके चलते बालों का कम होना या कम घना होना शुरू हो जाता है और ऐसी हालत में सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि यह स्थिति गंजेपन की ओर जाती है।

गंजेपन के प्रकार 
1. एंड्रोजेनिक एलोपेसिया - यह सवाधिक आम है और महिलाओ से ज्यादा पुरुषों को होता है। इसीलिए इसे पुरुषों का गंजापन भी कहा जाता है। यह स्थायी किस्म का गंजापन है और एक खास ढंग से खोपड़ी पर उभरता है। यह कनपटी और सिर के ऊपरी हिस्से से शुरू होकर पीछे की ओर बढ़ता है। यह जवानी के बाद किसी भी उम्र में शरू हो सकता है और व्यक्ति को आंशिक रूप से या पूरी तरह गंजा कर सकता है। इस किस्म के गंजेपन के लि
ए मुख्यत: टेस्टोस्टेरॉन नामक हारमोन संबंधी बदलाव और आनुवंशिकता जिम्मेदार होती है।

2. एलोपेसिया एरीटा - इसमें सिर के अलग-अलग हिस्सों में जहां-तहां के बाल गिर जाते हैं, जिससे सिर पर गंजेपन का पैच लगा सा दिखता है। इसकी वजह अब तक अनजानी है, पर माना जाता है कि यह शरीर की रोगप्रतिरोधी शक्ति कम होने के कारण होता है।

3. ट्रैक्शन एलोपेसिया - यह लंबे समय तक एक ही ढंग से बाल के खिंचे रहने के कारण होता है। जैसे, कोई खास तरह से हेयरस्टाइल या चोटी रखना। लेकिन हेयरस्टाइल बदल देने यानी बाल के खिंचाव को खत्म कर देने के बाद इसमें बालों का झड़ना रुक जाता है।

कारण 
आनुवंशिक कारणों या उम्र बढ़ने से
हारमोन में परिवतन से
गंभीर रूप से बीमार पड़ने या बुखार होने से
किसी खास चिकित्सीय कारण, जैसे कैंसर केमोथेरेपी या अत्यधिक विटामिन ए की वजह से
भावनात्मक या शारीरिक तनाव की वजह से
एक खास ढंग से बाल को लंबे समय तक खींचे रखने से भी बाल कम होते हैं।

उपचार
1. केश प्रत्यारोपण (हेयर ट्रांसप्लांटेशन)
इसके तहत सिर के उन हिस्सों, जहां बाल अब भी सामान्य रूप से उग रहे होते है, से केश-ग्रंथियां लेकर उन्हें गंजेपन से प्रभावित हिस्सों में ट्रांसप्लांट किया जाता है। इसमें त्वचा संबंधी संक्रमण का खतरा बहुत कम होता है और उन हिस्सों में कोई नुकसान होने की संभावना कम होती है जहां से केश-ग्रंथियां ली जाती है।

2. दवाओं के इस्तेमाल से
माइनोक्सिडिल नामक दवा का इस्तेमाल कम बाल वाले हिस्सों पर रोज करने से बाल गिरना रुक जाता है तथा नये बाल उगने लगते हैं। यह दवा रक्त वाहिनियों को सशक्त बनाती है जिससे प्रभावित हिस्सों में रक्तसंचार और हारमोन की आपूति बढ़ जाती है और बाल गिरना बंद हो जाता है। एक और फाइनस्टराइड नामक दवा की एक टेबलेट रोज लेने से बालों का गिरना रुक जाता है तथा कई मामलों में नये बाल भी उगने लगते हैं।

ये दवाएं बालों का गिरना कम तो कर सकती हैं पर अधिकांश मामलों में देखा गया है कि दवाएं लेना बंद कर देने से नये उगे बाल पुन: झड़ जाते हैं। इनसे खोपड़ी खुजलाने जैसे कुछ साइड इफेक्ट होना भी आम बात है।

इनके अलावा, कोटिकोस्टराइड नामक एक इंजेक्शन भी है जो एलोपेसिया एरीटा के मामले में खोपड़ी की त्वचा में दी जाती है। यह उपचार आम तौर पर हर महीने दोहराया जाता है। कई बार डॉक्टर एलोपेसिया एरीटा के चलते अत्यधिक बाल गिरने पर कोटिकोस्टराइड टेबलेट खाने की सलाह भी देते हैं।

3. कॉस्मेटिक उपचार
सिंथेटिक केश - गंजेपन से प्रभावित हिस्से को ढंकने के लिए विशेष रूप से निमित बालों का प्रयोग किया जा सकता है। यहां ध्यान देने की बात यह है कि इन बालों के नीचे की खोपड़ी को नियमित रूप से धोते रहना जरूरी है, इसमें किसी किस्म की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए। एक और तरीका है कृत्रिम बालों की बुनाई कराना, जिसके तहत मौजूदा बालों के साथ कृत्रिम केशों की बुनाई की जाती है।

बाल झड़ने से परेशान हैं तो किचन में मिलेंगे ये आसान उपाय
अगर बदलते मौसम में आपके बाल बहुत अधिक झड़ रहे हैं और आप इनकी रोकथाम के लिए वाकई फिक्रमंद है तो इनकी रोकथाम का उपाय खोज रहे हैं तो पालर में टाइम गंवाने या महंगे कॉस्मेटिक्स पर पैसे बहाने की जरूरत नहीं है।
आपके किचन में ही ऐसी चीजे उपलब्ध हैं जो बाल झड़ने की रोकथाम में मददगार भी हैं और इनके लिए आपको अधिक जेब भी नहीं ढीली करनी पड़ेगी।

आलू का रस
आलू को कीसकर इसका जूस निकाल लें और सिर पर लगाकर 15 मिनट के लिए छोड़ दें। इसके बाद हल्के शैपू से बाल साफ करें। इससे बालों का गिरना तो कम होगा ही, साथ ही यह नैचुरल कंडिशनर भी है।

हिना पैक
मेहंदी से न सिफ बालों की रंगत बरकरार रहती है बल्कि यह बालों को भी मजबूत बनाती है। इसमें हल्का आंवला पाउडर मिलाकर लगाने के 15 मिनट बाद धो लें। इससे बालों की कंडिशनिंग होगी और बाल मजबूत रहेंगे।

मेथी
मेथीदाना शरीर में टेस्टोस्टेरोन का स्तर बढ़ाता है जिससे बाल मजबूत होते हैं। एक चम्मच मेथी के पेस्ट में दो चम्मच नारियल तेल मिलाएं और बालों में 3क् मिनट तक लगाकर रखें। फिर इसे शैंपू से साफ कर लें।

अंडे का मास्क
अंडे में अच्छी मात्र में प्रोटीन है जो बाल घने करने में मददगार है। इसके अलावा, इसमें जिंक, सल्फर, आयरन, सेलेनियम, फॉस्फोरस और आयोडीन भी अच्छी मात्र में है।

प्याज का जूस
प्याज के रस में सल्फर अच्छी मात्र में है जो शरीर में कोलाजेन की मात्र बढ़ाता है जिससे बाल घने होते हैं। प्याज का रस निकालकर इसे बालों पर 15 मिनट तक लगाएं और फिर शैंपू से बाल साफ करें।

बालों के झड़ने से परेशान हैं तो आजमाएं कपूर का तेल
अगर आप बाल झड़ने से परेशान हैं और इसके लिए पालर से लेकर दवा तक पर खच कर चुके हैं तो घर में ही कपूर का तेल बनाएं। यह न सिफ सस्ता और सुलभ उपाय है बल्कि डैंड्रफ से लेकर बाल झड़ने तक, आपके बालों की कई परेशानियों को कम करने में मददगार हो सकता है।

क्यों है फायदेमंद 
कपूर के तेल की मसाज न सिफ शरीर के रक्त संचार को बढ़ाती है बल्कि इसका अरोमा स्ट्रेस से भी राहत दिलाता है। इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक तत्व डैंड्रफ दूर करने में भी मददगार है।

कैसे बनाएं
कपूर का तेल बनाना बहुत आसान है। वैसे तो यह बाजार में कैंफर ऑयल के नाम से बिकता ही है, लेकिन आप घर पर ही इसे तैयार करना चाहते हैं तो नारियल तेल में कपूर के टुकड़े डालकर एक एयर टाइट डिब्बे में बंद कर दें। इससे कपूर का अरोमा नहीं खत्म होगा और आप जब चाहें इसे लगा सकते हैं।

कैसे करें इस्तेमाल
कपूर के तेल को बालों की जड़ों में लगाएं और 15 से 20 मिनट तक सिर की हल्की मसाज करें। फिर पांच मिनट तक छोड़ दें। इसके बाद आप बालों पर स्टीम दें या फिर गुनगुने पानी में तौलिया भिगोकर बांलों पर पांच मिनट के लिए बांधें और बालों पर शैंपू करें।

ध्यान रहें
हो सकता है कि आपकी त्वचा कपूर के लिए एलजिक हो, आसी स्थिति में पहले त्वचा पर एक पैच टेस्ट करें और फिर ही बालों पर लगाएं।


कमजोर और झड़ते बालों में यूं डालिए जान
बदलते फैशन के साथ बालों का फैशन भी बदलता रहता है। कभी कट बदलता है, तो कभी बालों का रंग। बालों की खूबसूरती के लिए हम केमिकलयुक्त प्रोडक्ट इस्तेमाल करने में भी गुरेज नहीं करते।

मेंबर ऑफ एशियन एसोसिएशन ऑफ हेयर रेस्टोरेशन के सजन डॉ. एस. सरीन कहते हैं, क्वबेशक आप अपने बालों पर केमिकल का इस्तेमाल करें, पर इससे होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कुछ तो एक्स्ट्रा करना पड़ेगा। इसके लिए आप फ्रूट हेयर पैक का यूज कर सकते हैं, क्?योंकि ये बालों को बढ़ाने और बालों की खोई रंगत वापस लाने में महत्वपूण भूमिका निभाते हैं। फलों से बने हेयर पैक बालों के लिए नेचुरल कंडीशनर और शैंपू की तरह हैं। गिरते बालों की समस्या हो या फिर असमय बालों का झड़ना, बालों की सभी प्रकार की समस्याओं के लिए फ्रूट पैक बेहतर है।’

केले का हेयर पैक
केले में मौजूद पोटैशियम, विटामिन ए, सी और ई बेजान बालों को नरिश करने का काम करते हैं। केले का हेयर पैक बनाने के लिए दो केले, एक अंडे की जदी, एक चम्?मच नींबू का रस लें। सबको एक साथ मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार करें और बालों में 3क् मिनट तक लगाएं।
इससे आपके बालों की खोई रंगत वापस मिलेगी और बालों का झड़ना भी कम हो जाएगा। केले का आप एक और पैक भी बना सकते हैं।
इसके लिए पहले दो केलों को मैश करें। फिर इसमें थोड़ा-सा शहद, दही और नींबू रस मिलाएं और इस पेस्ट को आधे घंटे के लिए बालों में लगाएं।  इससे आपके बाल मुलायम और चमकदार हो जाएंगे।

बाल रूखे हों, तो हेयर पैक बनाने के लिए एक केले में एक चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाएं।
अब इस पेस्ट को अपने बालों पर लगाएं, खासकर जड़ों पर धीरे-धीरे मलें। अगर बाल ज्यादा रूखे हैं, तो इस पेस्ट में उड़द दाल का पाउडर और आधा चम्मच दही भी मिला लें।

पपीते का हेयर पैक
विटामिन-ए से भरपूर पपीता बालों के प्राकृतिक तेल को रिस्टोर कर नमी को बनाए रखने का काम करता है।
रूखे बालों के लिए यह रामबाण है। पके हुए पपीते को ऑलिव ऑयल के साथ्?ा मिक्?स कर बालों में लगाने से बाल मुलायम बनते हैं।
पपीते को मैश करके उसमें थोड़ा-सा दही और दो बूंद ग्लिसरीन डालें और इस पेस्ट को 3क् मिनट के लिए बालों पर लगाकर छोड़ें। इस पैक से आपके बालों में चमक आएगी और दो मुंहे बालों से भी छुटकारा मिलेगा।

नाशपाती का हेयर पैक
नाशपाती का हेयर पैक बनाने के लिए नाशपाती को पीसकर उसमें शिया बटर, नारियल तेल और शहद मिलाएं।
अब इस पेस्ट को तीस मिनट के लिए बालों में लगाएं और हेयर कैप से बालों को ढंक दें। बालों का रूखापन चला जाएगा, बाल चमकने लगेंगे।

संतरे का पैक
संतरे का पैक बनाने के लिए एक कप संतरे का रस, एक कप दही, एक बड़ा चम्मच तुलसी पाउडर या फिर आंवला पाउडर लें और इसे एक साथ मिक्स कर लें। इसे नियमित रूप से बालों में लगाएं। इससे बाल स्वस्?थ और मुलायम रहेंगे।

गंजेपन का प्रभावी उपाय खोज रहे हैं तो लें ये डाइट

गलत जीवनशैली, अधिक प्रदूषण या शरीर में पोषक तत्वों की कमीं, बात जब बालों के झड़ने की आती है तो हामोनल बदलाव छोड़कर ये सभी इसके बड़े कारण हो सकते हैं। ऐसे में शरीर को पोषक तत्वों की कमीं को पूरा करने के लिए अगर आप अपनी डाइट में इन चीजों को शामिल करेंगे तो गंजेपन की समस्या से छुटकारे में काफी हद तक मदद मिल सकती है।

बालों की सेहत के लिए शरीर में प्रोटीन, विटामिन ए, ई, बी और ओमेगा 3 जैसे कई पोषक तत्व का संतुलन जरूरी है। जानिए, डाइट में ऐसी कौन सी चीजें हैं जो बाल झड़ने से रोकती हैं और उन्हें मजबूत बनाती हैं।

अंडे
अंडे में प्रोटीन अच्छी मात्र में होता है और यह विटामिन बी का भी बड़ा ोित है। प्रोटीन और विटामिन बी, दोनों ही बालों की सेहत के लिए बहुत जरूरी हैं इसलिए इसका सेवन नियमित रूप से करें।
डेयरी उत्पाद

दूध न सिफ कंप्लीट फूड है बल्कि इससे बनी चीजें भी बालों के लिए काफी फायदेमंद है। ये विटामिन ए का अच्छा ोित हैं। इनके सेवन से स्काल्प में सीबम का निमाण बढ़ता है जिससे बाल उगने आसानी होती है और बाल झड़ते नहीं हैं।

पालक
पालक में विटामिन बी, सी और ई अच्छी मात्र में हैं। साथ ही यह पोटैशियम, एंटीऑक्सीडेंट्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड का भी बड़ा ोित है। इसके सेवन से बाल घने होते हैं।

गाजर
सदियों के मौसम में गाजर का सेवन बढ़ाएं और बालों की समस्याओं से निजात पाएं। गाजर में विटामिन ए और बीटा कौरोटीन नामक तत्व प्रचुर मात्र में है जो बालों के लिए काफी फायदेमंद है

मछली
मछली में प्रोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड अच्छी मात्र में है। अगर आप मांसाहार लेते हैं तो डाइट में नियमित रूप से मछली का सेवन करें जिससे बालों की समस्या तेजी से दूर होंगी और बाल घने व मजबूत होंगे।

शकरकंद
शकरकंद भी बालों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें विटामिन सी, आयरन, कॉपर और प्रोटीन अच्छी मात्र में हैं जो बालों झड़ने को रोकने में काफी मददगार हैं।

गंजेपन को दूर करने में मददगार होगा यह उपाय
बालों की सही देखभाल न करने के कारण बालों में कई समस्?याएं हो सकती हैं जैसे कि डेंड्रफ या बालों का गिरना आदि। आप अपने थोड़ी सी देखभाल तथा घरेलू उपायों को अपना कर न सिफ बालों की समस्याओं को दूर कर सकते हैं बल्कि बालों का गिरना भी रोक सकते हैं। आज के युवावग में बाल गिरने की समस्या काफी आ रही हैं। बाल गिरना अगर इस कदर बढ़ गया है कि आप गंजेपन के कगार पर पहुंच गए हैं तो इसका प्रभावी उपचार संभव है।

शोधकताओं ने टोफासिटनिब साइट्रेट नामक दवा की मदद से 25 वषीय व्यक्ति के सिर पर बाल उगाने में सफलता पाई है जो किसी रोग के कारण कम उम्र में ही गंजेपन का शिकार हो चुका था।

शोधकताओं के अनुसार, इस दवा की मदद से उन्होंने शुरुआती दो महीनों में बाल उगने में आशिंक सफलता पाई और आठ महीनों के भीतर वे पूरे सिर पर बाल उगाने में सफल हो गए। शोधकता डॉ. ब्रेट ए. किंग के अनुसार, ‘’एफडीए द्वारा स्वीकृत इस दवा की मदद से न सिफ हम सिर पर बाल उगाने में सफल हुए बल्कि भौंहों, पलकों आदि को भी दोबारा उगाने में भी हमें सफलता मिली है।’’

ब्रेट के अनुसार, ‘’इस उपचार की खासित है इस दवा का को साइड इफेक्ट नहीं है। इसी कारण हम इसे दूसरे मरीजों पर भी आजमाने का प्रयास करेंगे।’’ उन्होंने इस दवा की मदद से गंजेपन के उपचार के लिए क्रीम बनाने की भी सिफारिश की है।


गंजेपन से चाहिए हमेशा के लिए छुटकारा तो अपनाए ये उपाय
आज के तनाव भरे माहौल में बालों का झडऩा आम बात है। लेकिन अब आपको धबराने के जरुरत नहीं है क्योंकि अगर आपके सिर के बाल झड़ गए हैं तो इससे हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने सीने के बाल को सिर पर ट्रांस्पलांट कर गंजेपन के बावजूद भी बाल उगाने में सफलता प्राप्त की है। इस विधि को उन्होंने फॉलिक्यूलर युनिट एक्सट्रैक्शन का नाम दिया है। अब तक बालों के ट्रांसप्लांट के दौरान सिर के पिछले हिस्से से, जहां बाल अधिक होते हैं, बाल निकालकर सिर के उन हिस्सों पर लगाया जाता है जहां बाल झड़ चुके होते है।

यह प्रक्रिया दर्दनाक तो होती ही है, साथ ही इसकी सफलता की गुंजाइश भी पूरी नहीं होती है। अक्सर गंजेपन के दौरान लोगों के सिर के पिछले हिस्से में भी बाल या तो कम होते हैं या फिर कमजोर, इसलिए जरूरी नहीं कि इनका ट्रांसप्लांट पूरी तरह सफल ही हो।

ऐसे में सीने के बालों को सिर पर लगाने की यह विधि अपेक्षाकृत अधिक असरदार है। इस प्रक्रिया के अंतगत सजन मरीज के सीने पर शेव कर बाल निकाल कर सिर के गंजे भाग पर ट्रांसप्लांट करता है। सामान्यत: एक बार सिर पर इस विधि से बाल ट्रांस्पलांट करने का खच 10,00 पाउंड यानी 10,20,268 रुपए का खर्च आता है।


गंजेपन से छुटकारा पाने के घरेलू नुस्खे

अचानक से गंजापन आना और बालों का झड़ना बीमारी का कारण हो सकता है और आपको तुरंत डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए। आमतौर पर पुरुषों में गंजापन के लिए मेल हामोन को जिम्मेदार ठहराया जाता है। यही वजह ?है महिलाओं में गंजापन नहीं देखने को मिलता है। साथ ही गंजापन जेनेटिक भी होता है और पीढ़ी दर पीढ़ी इसका असर रहता है। जब आपको लगे कि आपके गंजपन का समय आ गया है तो आप कुछ घरेलू नुस्खे के जरिए गंजेपन के समय को बढ़ा सकते हैं। दुलभ मामलों में आप इसका उपचार भी कर सकते हैं। पुरुषों के गंजापन को रोकने के लिए कई मेडिकल ट्रीटमेंट भी है। हालांकि इनमें से ज्यादातर विधि में हामोन को रोक दिया जाता है, जिससे पुरुषों की फटिलिटी प्रभावित होती है। इसलिए गंजेपन में विलंब करने के लिए घरेलू उपचार ज्यादा कारगर होता है। आप बालों और सिर के खाल को मजबूत करके अचानक होने वाले गंजेपन को रोक सकते हैं। गंजापन रोकने के लिये अपनाइये ये डाइट ज्यादातर घरेलू उपचार काफी आसान होते हैं और इसका नियमित रूप से पालन करना काफी प्रभावी होता है। सबसे पहले तो आप अपनी लाइफस्टाइल में परिवतन करें, जो कि गंजेपन का सबसे बड़ा कारण है। बालों के झड़ने में तनाव की बहुत बड़ी भूमिका होती है।

हेयर आयल 
मसाज गंजेपन के उपचार में नारियल तेल, बादाम तेल, जैतून तेल, कैस्टर तेल और आमला तेल काफी प्रभावी होता है। आप इनमें से एक या एक से अधिक तेल से हर दूसरे दिन सिर का मसाज करें। इससे बालों के विकास को बढ़ावा मिलेगा। मसाज करने से पहले तेल को थोड़ा गम कर लें ताकि सिर का खाल इसे अच्छे से सोंख सके।

कोकोनट मिल्क 
कोकोनट मिल्क पौधे का अक होता है और इसमें टिशू को पोषण देने वाले तत्व बड़ी मात्र में पाए जाते हैं। कोकोनट को अच्छे से मसल कर इसका रस निचोड़ लें। अब इस रस से तुरंत सिर का मसाज करें।

मेहंदी की पत्ती 

मेहंदी भारत का एक चचित हब है। इसमें औषधीय गुण तो होता ही है, साथ ही शादी विवाह में इसका इस्तेमाल टैटू बनाने के लिए किया जाता है। सरसों के तेल में मेहंदी की पत्ती को उबाल लें। ठंडा हो जाने के बाद इसमें हेयर आयल खासकर नारियल का तेल मिलाकर नियमित रूप से इस्तेमाल करें।

भारतीय गूस्बेरी 

भारतीय गूस्बेरी को आमतौर पर आमला के नाम से जाना जाता है। पूरे भारत में इसका इस्तेमाल बालों को तेजी से बढ़ाने के लिए किया जाता है। भारतीय गूस्बेरी विटामिन सी से भरा होता है, जिसकी कमी से बाल झड़ते हैं। आमला के गूदे और नींबू के रस को सिर के खाल पर अच्छी तरह से लगाएं। इसे रात भर छोड़ दें और सुबह नहाते समय शैंपू से सिर धो लें।

मेथी 
बालों को झड़ने से रोकने में मेथी काफी कारगर होता है। मेथी के बीज में ऐसे हामोन पाए जाते हैं जो बालों के विकास को बढ़ाने के साथ-साथ हेयर फालिकल्स को भी बनाता है। साथ ही इसमें प्रोटीन और निकोटिनिक एसिड पाया जाता है जो बाल को बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। मेथी के बीज को रात भर पानी में फूलने के लिए छोड़ दें और फिर नहाने से पहले इसका पेस्ट सिर पर लगाएं।

प्याज 
हल्के गंजेपन के उपचार में प्याज काफी कारगर होता है। प्याज को पीस कर इसका रस निकाल लें। अब इस जूस को एलोवेरा के साथ मिलाकर नहाने से पहले 10 से 15 मिनट तक सिर पर लगाकर रखें।

सफेद बालों से जुड़े मिथ और तथ्य

क्?या आप बालों की सफेदी के बारे में फैली अलग-अलग बातों को लेकर संशय में रहते हैं और इसके पीछे की हकीकत जानना चाहते हैं। तो, नीचे दिये लेख को पढ़ें और बालों को सफेद होने से रोकने के उपायों के बारे में जानें। खूबसूरत बाल तो कुदरती तोहफा माना जाता है और हम भी अपने बालों को हमेशा चमकदार और काला घना बनाये रखना चाहते हैं। लेकिन, रोज हानिकारक कैमिकल्स के संपक में आने, अपर्याप्त आहार, तनाव और अन्?य कई कारणों से हमारे बाल समय से पहले ही सफेद होने लगते हैं। तो, बालों के असमय सफेद के पीछे कई मिथ भी चले आते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चले आते हैं और लोग उन्हें सच मानने लगते हैं। जी हां, इन मिथों में कई सच्चाइयां भी छुपी होती हैं, लेकिन सभी बातें पूरी तरह सच नहीं होतीं। अगर आप इन बातों का सही प्रकार से ध्यान न रखें तो आप गलत रास्ते पर जा सकते हैं, जिससे आपको काफी नुकसान हो सकता है। तो जरूरी है कि आप मिथ और हकीकत के फक को समझें। और बालों के असमय सफेद के पीछे के जरूरी कारणों और इलाजों को जानें।

सफेद बालों के मिथ और हकीकत मिथ 1: अगर आप एक सफेद बाल को खींचकर निकालें तो उसी जड़ से कई सफेद बाल निकल आते हैं। सच: यह बात पूरी तरह गलत है। नगातार सफेद बाल खींचकर निकालते रहने से कुछ समय बाद आप गंजे हो सकते हैं। हमारे बालों की जड़ों में केवल एक बाल निकलने की जगह होती है। तो एक ही समय पर एक से ज्यादा सफेद बाल निकलना तो असंभव है।

मिथ 2 : सफेद बालों को छुपाने का सबसे अच्छा तरीका स्थायी कलर ट्रीटमेंट करवाना है सच : यह बात पूरी तरह गलत है। आपके सिर में कितने सफेद बाल हैं उसके आधार पर ही आप अपने सिर के सफेद बालों को छुपा सकते हैं। अगर आपके सिर में सफेद बाल कम हैं तो आप सेमी-परमानेंट और डेमी परमानेंट रंगों के आपसी मिश्रण से बालों की सफेदी छुपा सकते हैं। इस मिश्रण में किसी प्रकार का कोई सख्त केमिकल नहीं होता।


महिलाओं में गंजेपन का कारण और उपचार

पहले ऐसा लगता था कि पुरूष ही गंजे होते है और महिलाओं के बाल झड़ते हैं। लेकिन अब थोड़ा ट्वीस्ट है, महिलाओं में भी गंजेपन की समस्?या सामने आने लगी है। एक अध्ययन के मुताबिक, हर बाल एक छेंद पर उगता है उसे फोलीसाइल कहते हैं। जैसे-जैसे फोलीसाइल सिकुड़ते है तो बाल झड़ते है और वहां गंजापन हो जाता है। महिलाओं में भी ये समस्या देखने को मिलती है। कई बार इसी समस्या के चलते लम्बे और मोटे बाल, छोटे और पतले बालों में बदल जाते हैं। महिलाओं में एकदम से कभी भी गंजापन नहीं होता है। पहले उनके बाल झड़ते हैं, पतले होते और बाद में गंजापन हो जाता है।

बालों को झड़ने से रोकेगा यह घरेलू उपचार महिलाओं में गंजापन होने के कारण निम्न प्रकार हैं:
1.आनुवांशिक गुण या परिवार में पहले भी मां या दादी, नानी के बालों का इस तरह झड़ना।
2. उम्र बढ़ने के कारण
3. सजरी, कीमोथरेपी या किसी दवा के प्रभाव के कारण।
4. मेनोपॉज के कारण ऐसी समस्या आने पर आपको डमेटोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए, ताकि वह आपका सही प्रकार ट्रीटमेंट करवा सकें। गंजेपन की समस्या महिलाओं और पुरूषों, दोनों में होती है। लेकिन इसमें कोई झिझकने की बात नहीं है, आप डॉक्टर से मिलें और अपनी समस्या बताकर सही इलाज करवाएं। पुरूषों में गंजेपन की शुरूआत कनपटी से होती है और वहीं महिलाओं में गंजेपन की शुरूआत बीच की मांग से होती है। दोनों में ही गंजेपन के भिन्न कारण होते हैं, इसलिए ध्यान दें और इलाज करवाएं। गंजे हो रहे हैं तो अपनाइये ये 20 तरीके महिलाओं में गंजेपन को दूर करने का
उपचार: 
1. आप लोशन, पेम, क्रीम और अन्य प्रकार के कॉस्मेटिक का इस्तेमाल कर सकती है जो आपके बालों को झड़ने से बचाएं।
2. आप प्रोफेशनल काउंसलिंग करवा लें।
3. डॉक्टर से सही और बेहतर उपचार के बारे में पूछें।
4. हेयर ट्रांसप्लांट करवा लें। आजकल बालों को ट्रांसप्लांट करने की काफी नई-नई तकनीकी ईजाद हुई हैं जो गंजेपन की समस्या को दूर कर देते है।

बालों का झड़ना रोके अंडा: घरेलू उपचार

अंडे प्रोटीन और विटामिन से भरे होते हैं जो कि बालों की कई सारी समस्?याओं से हमें निजात दिला सकते हैं। नियमित इस्तेमाल से यह आपके बालों को घना और शाइनी बना सकते हैं। अगर आपके बाल बहुत ज्?यादा रूखे हैं तो भी अंडा लगाना बहुत लाभदायक होता है। इसमें जरुरतमंद फैटी एसिड होता है जो कि बालों को अंदर से पोषण पहुंचाता है। यह बालों की जड़ों को मजबूत बनाता है जिससे बाल झड़ते नहीं हैं। सिल्?की बाल चाहिये तो लगाइये अंडा
बालों के लिये अंडे के फायदे 
1. अंडे में सल्फर होता है और कुछ पोषक तत्व जैसे प्रोटीन और मिनरल जैसे आयोडीन, फॉस्?फोरस ,आयरन और जिंक पाया जाता है। ये सब मिल कर बालों के लिये बहुत ही अच्छा काम करते हैं।
2. अंडे में विटामिन ई होता है जो कि बालों को बढ़ाने में मदद करता है। इसमें मौजूद विटामिन बालों को यूवी किरणों और प्रदूषण से बचाता है। यह बालों को कमजोर होने से भी बचाता है।
3. अंडे में बायोटिन या विटामिन 7 होता है जो कि बालों की जड़ों को मजबूत करता है।

एग हेयर पैक 
1. अंडा और जैतून तेल: अंडे का सफेद भाग ले कर उसके साथ 2 चम्?मच जैतून का तेल मिक्?स करें। अब इस मिश्रण को सिर पर अच्?छी तरह से लगाएं। 20 मिनट के बाद बालों को ठंडे पानी और शैंपू से धो लें। कुछ हफ्तो तक ऐसा करने से बालों की ग्रोथ होना शुरु हो जाएगी।
2. अंडा, जैतून तेल और शहद: 1 अंडे के पीले भाग में 3 चम्मच जैतून तेल और थोड़ा सा शहद मिक्?स करें। फिर इससे अपने सिर और बालों की धीरे धीरे मसाज करें। अपने सिर को किसी शॉवर कैप से ढंक दें और आधे घंटे बाद बालों को हल्?के गरम पानी से धो लें।
3. अंडा और नींबू: अंडे का पीला भाग लें और उसमें आधा नींबू निचोड़े। फिर इस पेस्?ट से अपने सिर की कुछ देर मसाज करें। जब मिश्रण अच्छी तरह से सिर में समा जाए तब इसे ठंडे पानी से धो लें।




 महिलाओं में गंजेपन का कारण
करीब एक तिहाई महिलाएं एलोपेसिया की समस्या से जूझती हैं जबकि मेनोपॉज के बाद दो तिहाई महिलाओं को सिर के किसी विशेष हिस्से में गंजेपन का सामना करना पड़ता है।

महिलाओं में एलोपेसिया की वजहें पुरुषों की तुलना में अधिक हैं। पुरुषों की तरह ही महिलाओं में एंड्रोजन हामोन के कारण भी बाल झड़ने लगते हैं। इसमें सिर में मांग के आसपास के बालों का झड़ना शुरू होता है जो धीरे-धीरे सिर के पूरे भाग के गंजेपन में बदल जाता है।

इसके अलावा, कोई विशेष स्वास्थ्य समस्या, शारीरिक व मानसिक तनाव, मेनोपॉज के बाद हामोनल बदलाव, मेडिकल हिस्ट्री, किसी खास तरह का उपचार आदि भी संबंधित हैं।



इन लक्षणों को देखने के बाद उपचार में देर न करें
पुरुषों और महिलाओं में गंजेपन के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। आमतौर पर पुरुषों में गंजेपन की शुरुआत में बाल इस तरह से झड़ते हैं कि सिर पर बालों का हिस्सा ‘रू’ आकार में नजर आता है। धीरे-धीरे बालों का झड़ना अधिक हो जाता है और यह आकार बदलकर ‘’ हो जाता है।

महिलाओं के मामले में यह पैटन अलग है। आमतौर पर महिलाओं के सिर के बिल्कुल मध्य भाग से बाल झड़ने शुरू होते हैं, खासतौर पर बालों की मांग के आसपास का भाग और धीरे-धीरे सिर के सभी हिस्से से बाल झड़ने शुरू हो जाते हैं।




 उपचार की प्रचलित विधियां 
एलोपेसिया के उपचार का सबसे पहला चरण है लक्षणों के आधार पर इसकी पहचान। इस दौरान मरीज की मेडिकल हिस्ट्री का पूरा ब्यौरा लिया जाता है।

इस दौरान गंजेपन का पैटन, सूजन या संक्रमण का परीक्षण, थायरॉइड और आयरन की कमी की पहचान के लिए ब्लड टेस्ट और हामोनल टेस्ट आदि की मदद से इसकी जांच हो सकती है। इसके उपचार के लिए इन दवाओं और विधियों का इस्तेमाल स्थिति के गंभीरता के आधार पर किया जाता है।

मिनोक्सिडिल - इस दवा को हाई ब्ल़ प्रेशर के उपचार के लिए तैयार किया गया था लेकिन इसका असर बाल झड़े के उपचार पर भी सामने आया। इसके बाद, कई शोधों में इसे गंजेपन के उपचार में प्रभावी माना गया है।

फूड एंड ड्रग्स एसोसिएशन ने इस दवा को महिलाओं में गंजेपन के उपचार के लिए प्रभावी माना है और डॉक्टरी सलाह पर उनका इस्तेमाल एंड्रोजन एलोपेसिया के उपचार में किया जाता है।

एंड्रोजन प्रतिरोधी दवाएं - चूंकि एलोपेसिया के अधिकतर मामलों में शरीर में एंड्रोजन हामोन की अधिकता एक प्रमुख कारण है, इसलिए इसे कम करने की दवाओं का इस्तेमाल भी उपचार के लिए किया जाता है। कुछ मामलों में इन दवाओं से उन महिलाओं को फायदा मिला है, जिन पर मिनोक्सिडिल का प्रभाव नहीं हुआ।

आयरन की पूति - कुछ मामलों में बाल झड़ने की रोकथाम महज आयरन युक्त सप्लीमेंट से ही हो जाती है। विशेष रूप से महिलाओं में गंजेपन के उपचार के लिए आयरन की गोलियां अधिक प्रभावी हैं।

प्लेटलेट रिच प्लास्मा थेरेपी (पीआरपी) - इस थेरेपी के दौरान सजरी की मदद से शरीर के रक्त की ही प्लेटलेट्स से उपचार किया जाता है जिससे त्वचा को एलजी की रिस्क नहीं रहता और बाल उगने शुरू हो जाते हैं।

मेसोथेरेपी - इस थेरेपी के दौरान स्काल्प की त्वचा पर विटामिन और प्रोटीन को सुई की मदद से डाला जाता है। इससे हेयर फोलिकल्स को ठीक कर दोबारा बाल उगाने की कोशिश की जाती है।

लेज़र लाइट - कम पावर की लेजर लाइट की मदद से बालों की जड़ों मे ऊजा का संचार बढ़ाते हैं जिससे बाल मजबूत हों और दोबारा उग सकें।

हेयर ट्रांस्प्लांटेशन - इस विधि से बालों को एक स्काल्प से दूसरे स्काल्प में स्थानांतरित किया जाता है। इस दौरान एक व्यक्ति के सिर से दूसरे के सिर में बाल इस तरह लगाए जाते हैं कि जिस हिस्से से बाल निकाले गए हों वे दूसरे के सिर में उसी हिस्से पर लगाए जाएं। इसके साथ-साथ बाल झड़ने की रोकथाम से जुड़े अन्य उपचारों को भी किया जाता है।