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Friday, February 28, 2014

ऐसी थी खूबसूरती की मल्लिका मधुबाला

अजय शर्मा
   
बॉलीवुड में मधुबाला को एक ऐसी अभिनेत्री के रूप में याद किया जाता। जिन्होंने अपनी दिलकश अदाओं और दमदार अभिनय से लगभग चार दशक तक सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया।
     
मधुबाला का मूल नाम मुमताज बेगम देहलवी था और जन्म हुआ था दिल्ली में 14 फरवरी 1933 को। उनके पिता अताउल्लाह खान में रिक्शा चलाया करते थे। तभी उनकी मुलाकात एक नजूमी (भविष्यवक्ता) कश्मीर वाले बाबा से हुयी जिन्होंने भविष्यवाणी की कि मधुबाला बडी होकर बहुत शोहरत पाएगी। इस भविष्यवाणी को अताउल्लाह खान ने गंभीरता से लिया और वह मधुबाला को लेकर मुंबई आ गये।
     
वर्ष 1942 में मधुबाला को बतौर बाल कलाकार (बेबी मुमताज) के नाम से फिल्म बसंत में काम करने का मौका मिला। बेबी मुमताज के सौंदर्य से अभिनेत्री देविका रानी काफी मुग्ध हुयी और उन्होंने उन्हें मधुबाला नाम रखने की सलाह दी। उन्होंने मधुबाला से बॉम्बे टाकीज की फिल्म "ज्वार भाटा" में दिलीप कुमार के साथ काम करने की पेशकश भी कर दी लेकिन मधुबाला उस फिल्म में किसी कारणवश काम नहीं कर सकी। ज्वारभाटा हिंदी की महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक है। इसी फिल्म से अभिनेता दिलीप कुमार ने अपने सिने कैरियर की शरूआत की थी।
   
मधुबाला को फिल्म अभिनेत्री के रूप में पहचान निर्माता निर्देशक केदार शर्मा की वर्ष 1947 मे प्रदर्शित फिल्म "नीलकमल" से मिली। इस फिल्म में उनके अभिनेता थे राजकपूर। नील कमल बतौर अभिनेता राजकपूर की पहली फिल्म थी। भले ही फिल्म नीलकमल सफल नहीं रही लेकिन इससे मधुबाला ने बतौर अभिनेत्री अपने सिने कैरियर की शुरूआत कर दी। वर्ष 1949 तक मधुबाला की कई फिल्में प्रदर्शित हुयी लेकिन इनसे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हुआ।
         
वर्ष 1949 में बांबे टॉकीज के बैनर तले बनी निर्माता अशोक कुमार की फिल्म "महल" मधुबाला के सिने कैरियर में महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुयी। रहस्य और रोमांच से भरपूर यह फिल्म सुपरहिट रही और इसी के साथ बालीवुड में हॉरर और सस्पेंस फिल्मों के निर्माण का सिलसिला चल पडा। फिल्म की जबरदस्त कामयाबी ने नायिका मधुबाला के साथ ही निर्देशक कमाल अमरोही और गायिका लता मंगेशकर को भी फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित कर दिया।
     
वर्ष 1950 से 1957 तक का वक्त मधुबाला के सिने कैरियर के लिये बुरा साबित हुआ। इस दौरान उनकी कई फिल्में असफल रही। लेकिन वर्ष 1958 मे  फागुन, हावडा ब्रिज, काला पानी तथा चलती का नाम गाडी जैसी फिल्मों की सफलता के बाद मधुबाला एक बार फिर से शोहरत की बुंलदियों तक जा पहुंची।
       
फिल्म हावडा ब्रिज में मधुबाला ने क्लब डांसर की भूमिका अदा करके दर्शकों का मन मोह लिया। इसके साथ ही वर्ष 1958 मे हीं प्रदर्शित फिल्म चलती का नाम गाडी में उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया।

मधुबाला का पहला प्यार दिलीप कुमार      

मधुबाला के सिने कैरियर मे उनकी जोडी अभिनेता दिलीप कुमार के साथ काफी पसंद की गयी। फिल्म तराना के निर्माण के दौरान मधुबाला दिलीप कुमार से मोहव्बत करने लगी। उन्होंने अपने ड्रेस डिजाइनर को गुलाब का फूल और एक खत देकर दिलीप कुमार के पास इस संदेश के साथ भेजा कि यदि वह भी उनसे प्यार करते है तो इसे अपने पास रख ले। दिलीप कुमार ने फूल और खत दोनों को सहर्ष स्वीकार कर लिया।

बी आर चोपडा की फिल्म नया दौर में पहले दिलीप कुमार के साथ नायिका की भूमिका के लिये मधुबाला का चयन किया गया और मुंबई में ही इस फिल्म की शूटिंग की जानी थी। लेकिन बाद मे फिल्म के निर्माता को लगा कि इसकी शूटिंग भोपाल में भी जरूरी है।
     
मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान ने बेटी को मुंबई से बाहर जाने की इजाजत देने से इंकार कर दिया। उन्हें लगा कि मुंबई से बाहर जाने पर मधुबाला और दिलीप कुमार के बीच का प्यार परवान चढे़गा और वह इसके लिए राजी नहीं थे। बाद मे बी आर चोपडा को मधुबाला की जगह वैजयंतीमाला को लेना पडा। अताउल्लाह खान बाद में इस मामले को अदालत में ले गये और इसके बाद उन्होंने मधुबाला को दिलीप कुमार के साथ काम करने से मना कर दिया। यहीं से दिलीप कुमार और मधुबाला की जोडी अलग हो गयी।

मधुबाला का बीमारी में भी काम करना      

पचास के दशक मे स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान मधुबाला को एहसास हुआ कि वह हृदय की बीमारी से ग्रसित हो चुकी हैं। इस दौरान उनकी कई फिल्में निर्माण के दौर में थी। मधुबाला को लगा यदि उनकी बीमारी के बारे मे फिल्म इंडस्ट्री को पता चल जायेगा तो इससे फिल्म निर्माता को नुकसान होगा। इसलिये उन्होंने यह बात किसी को नहीं बतायी। उन दिनों मधुबाला के आसिफ की फिल्म मुगले आजम की शूटिंग में व्यस्त थी। मधुबाला की तबीयत काफी खराब रहा करती थी। मधुबाला अपनी नफासत और नजाकत को कायम रखने के लिये घर में उबले पानी के सिवाय कुछ नहीं पीती थी। उन्हें जैसमेलर के रेगिस्तान में कुंए और पोखरे का गंदा पानी तक पीना पडा। मधुबाला के शरीर पर असली लोहे की जंजीर भी लादी गयी लेकिन उन्होंने उफ तक नहीं की और फिल्म की शूटिंग जारी रखी। मधुबाला का मानना था कि अनारकली के किरदार को निभाने का मौका बार बार नहीं मिलता।

तो ऐसी थी खूबसूरती की मल्लिका मधुबाला। जिन्होंने बहुत सी बेहतरीन फिल्मों में काम किया और शोहरत हासिल की। लेकिन व्यक्तिगत जिदंगी में प्यार और अपनेपन के लिए मायूस ही रही। 

Tuesday, February 18, 2014

लीजिए आ गई मस्तराम पर फिल्म


लीजिए अब आ रही है भारतीय पोर्न लेखक मस्तराम के जीवन पर आधारित फिल्म। जिसमें आप देखेंगे कि कैसे एक संघर्ष करनेवाला लेखक बना मस्मराम जैसे पोर्न साहित्य का लेखक। जो आपकी सांसे थाम देगा। जो किताब बाथरुम में और चोरी छिपे पढ़ी जाती थी। जो खुलेआम छोटी मोटी दुकानों पर बिका करती थी। तो बस थोड़ा सा और इंतजार  

माही गिल और बॉक्स फीवर, नहीं हो सकता

 अजय शर्मा

बॉलीवुड में अपने संजीदा अभिनय के लिये मशहूर माही गिल का कहना है कि वह बॉक्स ऑफिस के बारे में चिंतित नहीं रहती है। साहब बीबी और गैंगस्टर, देव डी और गुलाल जैसी कई फिल्मों में अपने संजीदा किरदार से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाली माही गिल की अब गैंग्स ऑफ घोस्ट प्रदर्शित होने जा रही है। मैं जो भी फिल्में करती हूं। वह छोटे बजट की होती है और उसकी कमाई के लिये चिंतित नहीं रहती।
     
माही गिल ने कहती हैं कि वो जो भी फिल्में करती हैं वे बॉक्स ऑफिस पर सफल रहती है और साथ हीं सराही भी जाती हैं। इसलिये मै बॉक्स ऑफिस के बारे में चिंतित नहीं रहती हैं।
     
आपको बता दें सतीश कौशिक के निर्देशन में बन रही गैंग्स ऑफ घोस्ट का निर्माण रतन जैन कर रहे है। यह फिल्म बंगला फिल्म भूतर भविष्यत की रिमेक है। इस फिल्म में शरमन जोशी, माही गिल, मीरा चोपड़ा, जैकी श्रॉफ, अनुपम खेर, राजपाल यादव और सौरभ शुक्ला की मुख्य भूमिका है। इस फिल्म से प्रियंका चोपड़ा की बहन मीरा चोपड़ा बॉलीवुड में डेव्यू कर रही है। यह फिल्म 1 मार्च को प्रदर्शित होगी।