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Thursday, September 26, 2013

सत्पाग्रह: पुरानी कड़ाई में बासी उबाल, चूक गए प्रकाश झा

सत्याग्रह फिल्म का प्लॉट अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे की जिंदगी से प्रेरित है। पूरी फिल्म में आपको यही लगेगा कि आप अरविंद एण्ड अन्ना टीम को देख रहे हैं। जिन लोगों ने अन्ना और आम आदमी आंदोलन देखा है या उसमें भाग लिया है वे लोग बखूबी इस बात को समझ सकते हैं। प्रकाश झा ने सिर्फ और सिर्फ अन्ना आंदोलन को दिखाया है। जिसमें कल्पना और नाटकीयता का तड़का लगाने के लिए कुछ बदलाव किए गए हैं। करीना कपूर ने एक टीवी जर्नलिस्ट का किरदार निभाया है जो आंदोलन कवर करते हुए बिजनेस मेन से आंदोलनकारी बने अजय देवगन के प्यार में पड़ जाती है। और एक प्रतिष्ठित टीवी चैनल की गाड़ी से वह अजय देवगन के साथ घूमती नजर आई हैं। यह बात कुछ हजम नहीं हो पाई।

यदि बात करें अभिनय की तो अमिताभ बच्चन हमेशा की तरह बेमिसाल हैं। अजय देवगन काफी थके हुए और निराश से दिखाई पड़ते हैं। उनके चेहरे से ताजगी नदारद है। ढलती उम्र के निशान उनके चेहरे पर साफ देखे जा सकते हैं। अर्जुन रामपाल ने युवा नेता के रूप में किरदार में जान डाल दी है। मनोज बाजपेई इस तरह के रोल के लिए टाइप्ड हो चुके हैं। उन्होंने काफी रूटीन सा काम किया है। ऐसा लगता है उन्हें काफी जल्दी थी कहीं जाने की। करीना के हिस्से में कुछ खास था ही नहीं करने के लिए। वह सिर्फ शो पीस बन कर रह गई। अमृता राव ने शांत रहकर भी अपनी मौजूदगी का अहसास कराया है। वह छाप छोड़ने में सफल रही हैं। कुल मिलाकर अभिनय के स्तर पर फिल्म अच्छी है लेकिन प्लॉट में कुछ भी नयापन नहीं हैं। संगीत भी काफी औसत दर्जे का है।

इस बार प्रकाश झा चूक गए। यह फिल्म दिल्ली के चुनावों को ध्यान में रखते हुए अरविंद केजरीवाल को तोहफा है प्रकाश झा का। मेरी तरह से इस फिल्म को 5 में से 2.5।  https://www.youtube.com/watch?v=1KXwGcZI13k

Saturday, April 20, 2013

सेक्सी मंदिरा आ रहीं हैं वापस


लीजिए एक ताजा खबर खूबसूरत और हॉट मंदिरा बेदी टीवी सीरियल की दुनिया में वापसी कर रही हैं। क्या करें पर्दे का चार्म है ही ऐसा। एक बार जो इस पर आ जाए वो फिर इससे दूर नहीं हो सकता। ये वो नशा है जो छूटता नहीं है। चाहे वो कोई भी क्यों न हो।

आपको याद दिला दे ये वहीं मंदिरा बेदी हैं जिन्होंने लगभग 9 साल पहले "शांति" टीवी सीरियल से अपने करियर की शुरुआत की थी। मंदिरा दर्शकों द्वारा 'शांति' के रूप में पसंद की गई थीं, वहीं एकता कपूर के लोकप्रिय धारावाहिक 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' में मंदिरा नाम के नकारात्मक चरित्र में भी उतनी ही सराही गईं। कई फिल्मों, टीवी धारावाहिकों, नाटकों और लाइव कार्यक्रमों और आईपीएल के दो संस्करणों के प्रसारण में दिख चुकीं मंदिरा छोटे पर्दे पर नए संगीत रिएलिटी कार्यक्रम 'इंडियन आइडल जूनियर' की मेजबान के रूप में भी नजर आने वाली हैं। लेकिन उनमें टीवी धारावाहिक में लौटने की खुशी और रोमांच साफ झलक रहा है।

मंदिरा को सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि उन्हें 41 की उम्र में भी मां का किरदार ऑफर नहीं किया गया है बल्कि उनकी हमउम्र अभिनेत्रियां मां और सास के रोल प्ले कर रहीं हैं। ऐसे में मंदिरा फूल कर कुप्पा हो रहीं हैं।
अरे भई मंदिरा खुश क्यों न हो 41 में भी 21 का दम दिखाने का जो मौका मिल रहा है। चलिए कोई बात नहीं यह तो आप पर आपके प्रॉडयूसर और डॉयरेक्टर का भरोसा है लेकिन यह पब्लिक आपको इस उम्र में इस तरह के रोल में आपको पसंद करेगी या नहीं। यह तो टीवी सीरियल के टेलीकास्ट के बाद ही पता चलेगा। मंदिरा जी कहीं ऐसा न हो ये पब्लिक आपको एकदम से खारिज कर दे और टीवी सीरियल देखते हुए टाइम पास करना पड़े।